कंपयूटर और स्मार्टफोन बढ़ा रहे हैं गर्दन पर बोझ
सिकाई से भी मिलता है आराम — घरेलू उपचार के तौर पर बर्फ की सिकाई से भी आराम मिलता है। बर्फ के टुकड़ों को कपड़े में बांधकर दर्द वाली जगह पर सिकाई करें। इससे सूजन और दर्द दोनों में राहत मिलती है। कुछ मामलों में मालिश और गर्म सिकाई से भी फायदा मिलता है। सरसों, तिल या जैतून के गुनगुने तेल से मालिश करें। मालिश करते समय हाथों को गर्दन से कंधे की ओर ले जाएं। मालिश के बाद गरम पानी की थैली से सिकाई करें। इसके बाद गर्दन के आसपास कोई कपड़ा लपेट लें। गर्म सिकाई के बाद ठंडी वस्तुओं का सेवन कम करें।
आज के समय में गर्दन को दर्द और अकडऩ से बचाए रखना आसान नहीं है। गर्मी व उमस में इसके मामले और बढ़ जाते हैं। घंटों कंह्रश्वयूटर पर काम करना और हर समय स्मार्टफोन की ओर झुकी हुई गर्दन ही दोषी नहीं है। और भी कई आदतें हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है। गर्दन का दर्द कई बार इतना तेज होता है कि कोई भी काम करना मुश्किल हो जाता है। गर्दन में दर्द और अकडऩ की यह समस्या गले की हड्डी से लेकर कंधे से होते हुए पूरे हाथ तक फैल जाती है। अकसर यह दर्द अचानक होता है। मसलन, सुबह सोकर उठे और अचानक लगने लगा कि गर्दन की हड्डी अकड़ गयी है। गर्दन को किसी भी दिशा में मोडऩा मुश्किल हो जाता है। तेज दर्द होता है और हाथ से दबाने पर गर्दन के आसपास का हिस्सा कड़ा लगता है। यूं सर्वाइकल व स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या चालीस साल के बाद होती है, पर उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण अब युवा भी शिकार हो रहे हैं। पॉस्चरल डिसॉर्डर के कारण होने वाले इस दर्द को मैकेनिकल पेन भी कहा जाता है।
हालांकि कारण स्पष्ट नहीं है, पर गर्मी व उमस के दिनों में गर्दन व कंधे के दर्द के मामले ज्यादा सामनेआते हैं। वातावरण में नमी बढऩे से बैरोमेट्रिक प्रेशर गिरने लगता है। इसका असर जोड़ों के तरल पदार्थों पर पड़ सकता है। शरीर पर थोड़ा सा तनाव का बढऩा इसे अकडऩ और दर्द के प्रति संवेदनशील बना देता है। लिगामेंट्स, टेंडन और मांसपेशियों का दर्द बढ़ सकता है। खून गाढ़ा होने के कारण भी मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, जो दर्द को बढ़ा सकता है। जिन्हें पुरानी समस्या है, उन्हें कूलर वएसी की सीधी हवा से जोड़ों को बचाए रखने की जरूरत होती है।
इंडियन स्पाइनल इंजरी सर्जरी के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ए के. साहनी के अनुसार, ‘सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, गर्दन में दर्द की बड़ी वजह है। आमतौर पर यह गर्दन की नस दबने की वजह से होता है। देर तक गर्दन झुकाकर काम करना या फिर लंबे समय तक ऊंचा तकिया लगाकर सोने से गर्दन की नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे दर्द रहने लगता है। इसे रूट पेन कहते हैं। गले में सूजन या चोट लगना भी दर्द का कारण बन सकता है। कई बार गठिया (रूमेटाइड आथ्र्राइटिस) के शुरुआती लक्षण भी गर्दन और कंधे में दर्द के तौर पर सामनेआते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या भी इसका कारण हो सकती है। ऐसे में हड्डियां कमजोर होकर भुरभुराने लगती है। टीबी व अन्य किसी संक्रामक रोग या मैटेस्टिक कैंसर की अवस्था में इसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। इस वजह से गर्दन में तेज दर्द रहता है। इसके उपचार के लिए रेडियोथेरेपी और इंजेकशन की मदद ली जाती है। सर्जरी भी करनी पड़सकती है। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने या फिर सिर में, दांतों में दर्द होने की वजह से भी गर्दन दर्द की शिकायत हो सकती है। तनाव, बेचैनी, काम कीअधिकता, अवसाद और सिर में दर्द की वजह से भी गर्दन में दर्द रहने लगता है, इसे सोमेटोफॉर्म डिसॉर्डर कहते हैं। ऐसी स्थिति में रोगी को पर्याप्त आराम के साथ बेचैनी और तनाव कम रखने वाली दवाओं से फायदा होता है।
दिखावों पर ना जाएं
बाजार में ढेरों ऐसे उपकरण मसलन नेक मसाजर आदि मिलते हैं, जो दर्द में राहत देने का दावा करते हैं। पर इसका मतलब ये नहीं कि आप कुछ भी खरीदते रहें। आराम मिलेगा ही, इसकी कोई गारंटी नहीं है। बेहतर है कि उपकरण डॉकटर की सलाह से लें। स्थायी इलाज फिजियोथेरेपी और नियमित व्यायाम ही है।
दिखायें किस डॉकटर को
एक उलझन इस बात की भी होती है कि न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें या किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। कोई चोट लगी है या समस्या हड्डी से जुड़ी है, तब हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास ही जाना चाहिए। चूंकि समस्या नस दबने के कारण होती है, इसलिए कई बार न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना जरूरी हो जाता है। दर्द अगर हाथों से होता हुआ पैरों तक पहुंच रहा है, सिर में दर्द हो रहा है, सुन्नपन और गर्दन में झनझनाहट है, हर समय कमजोरी रहती है तो बिना देर किए अच्छे डॉकटर से संपर्क करें। जरूरी जांच करवाते हुए दर्द का सही कारण समझने की कोशिश करें। बिना डॉकटर की सलाह के कोई भी दर्द निवारक दवा ना लें।
संपर्क करें फिजियोथेरेपिस्ट से
गर्दन के दर्द में फिजियोथेरेपी से भी राहत मिलती है। दर्द तेज है तो खुद से घर में व्यायाम न करें। गलत व्यायाम करने पर दर्द बढ़ भी सकता है। कोलिबया एशिया हॉस्पिटल में फिजियोथेरेपिस्ट डॉकटर प्रीति चौधरी के अनुसार,’तेज दर्द में सबसे पहले मांसपेशियों और नसों को पर्याप्त आराम की जरूरत होती है। शुरू में डॉकटर टेंस, अल्ट्रासॉनिक और सामान्य स्ट्रेचिंग से राहत देते हैं। इसके अलावा भोजन में कैल्शियम युक्त चीजें मसलन दूध, दही, अंडा आदि शामिल करना चाहिए। सोते समय गर्दन और रीढ़ की हड्डी सीधी रखनी चाहिए। बहुत ऊंचे तकिए का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कई बार खास सर्वाइकल पिलो का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। सोते समय हाथ के नीचे तकिया या कुशन रखना सही रहता है। कुछ के लिए नेक कॉलर पहनना जरूरी होता है।
उठने-बैठने के तरीकों में करें सुधार
? गर्दन में दर्द रहने पर बहुत ऊंचे और कठोर तकिए का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। इससे दर्द बढ़ जाएगा। तकिए के बजाए मुलायम तौलिया या चुन्नी को रोल की तरह लपेट कर सिर के नीचे लगाएं।
? कुछ लोग झुकते हुए खड़े होते हैं। इस आदत को बदलें। गर्दन के दर्द और अकडऩ से बचे रहने के लिए सीधे तनकर खड़े हों और पीठ को सीधा रखें। थोड़ी-थोड़ी देर बाद गर्दन को हल्का-हल्का स्ट्रेच करते रहें।
? कार चलाते समय कार की सीट को सीधी पोजीशन में रखें, जिससे कि सिर और गर्दन को सहारा मिल सके। इस बात का ध्यान भी रखें कि हाथों को स्टेयरिंग व्हील तक पहुंचने में मुश्किल ना हो।
? कुर्सी पर इस तरह बैठें कि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। थोड़ी-थोड़ी देर पर चहलकदमी करते रहें। टीवी देखते हुए, या फोन और कंह्रश्वयूटर पर काम करते समय देर तक गर्दन को झुकाकर न रखें। भारी फोन को हर समय हाथ में रखने से बचें।
? फोन का इस्तेमाल कम करें। ज्यादा देर बात करनी है तो हेडफोन या ईयर फोन लगाएं।
? घरेलू उपचार और व्यायाम से आराम नहीं मिल रहा है और गर्दन में लगातार दर्द बना हुआ है तो डॉक्टर से मिलने में देरी न करें।
लगातार करते रहें यह व्यायाम
गर्दन दर्द में भुजंगासन, मकरासन, मत्स्येंद्रासन, बालासन, अद्र्ध नौकासन, त्रिकोणासन, विपरीत करणी आसन आदि कई आसन फायदा पहुंचाते हैं। पर तेज दर्द होने पर शुरू में हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग ही करें …
? गहरी सांस लेने के बाद गर्दन को घुमाते हुए बाईं ओर ले जाएं। कुछ समय रोकें। सामान्य मुद्रा में आएं और फिर दाईं ओर ले जाएं। इस प्रक्रिया को कम से कम तीन बार दोहराएं। व्यायाम करते हुए गर्दन को तेजी से ना घुमाएं।
? कुर्सी पर बिल्कुल सीधा बैठें। ठुड्डी को गर्दन से छुआएं। फिर धीरे-धीरे ठुड्डी को इसी तरह रखते हुए कंधे तक ले जाएं। सामान्य स्थिति में लौटें और फिर उसी तरह ठुड्डी को गर्दन से लगाकर रखते हुए दूसरी ओर ले जाएं। इसे
तीन बार दोहराएं। धीरे-धीरे व्यायाम करें, ताकि गर्दन पर झटका न आए। धीरे-धीरे व्यायाम की संख्या बढ़ाएं।
? सांस लेते हुए सिर को ऊपर की ओर ले जाएं। कुछ सेकेंड के लिए रोकें और फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर लाएं। जितना आसानी से कर सकते हैं, उतना ही करें।
? कंधों को ढीला छोड़कर उन्हें ऊपर व नीचे की ओर लाना, ले जाना भी दर्द में राहत देता है।